Wednesday, 15 November 2017

मासूम सा चेहरा

दिल ने फिर याद कीया वो मासूम सा चेहरा
ऊन शोख निगाहो पर घुंघराली लटो का पहरा

दबे पाव आकर जो तुम देती थी दिल पर दस्तक
एक मीठा सा दर्द उठता है सीने मे अब तक
तुम क्या जानो तुम्हारी चंचल अदाओ ने
हमे घाव दिया है कितना गहरा

दिल ने फिर याद कीया वो मासूम सा चेहरा
ऊन शोख निगाहो पर घुंघराली लटो का पहरा

जब भी होते है खफा दुनिया के फरेब से
आँख बंद करके याद करते है तुम्हे
वो अल्हड़ सी हसी, वो दीवानगी
धूप मे नहाई सूरत का वो रंग सुनहरा

दिल ने फिर याद कीया वो मासूम सा चेहरा

ऊन शोख निगाहो पर घुंघराली लटो का पहरा

5 comments:

  1. These are really great penned down lines. Keep the passion going.
    ��

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  2. Replies
    1. Thank you. You are the one who told me I used to scribble sher in college days.

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  3. Wa Mohotarama... kya khub pesh kiya hai! Dil jaise khud hi nikal pada ho apane jakhamon ko mulhum patti karane!
    Bus ye silsila kabhi na ruke...bus yunhi chalata jaye!!!

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  4. Thank you for kind words Anangha.

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