पाने खोने के मुक़ाबले में
प्यार कही खो जाता है
रिश्तों के बंधन में
साँस घुटने लगती है
दुनियादारी के बोझ में
प्यार कही खो जाता है
कस्में वादों में घसीटते हुए
शर्तों के बींच से गुज़रते हुए
ख़ून के आँसू रो कर
प्यार कही खो जाता है
प्यार तो एक खुशबू है
इसे तो उड़ना होता है
इसे खेलने दो हवा के साथ
वरना प्यार कही खो जाता है
ये तो खुली धूप में निखरता है
ज़िंदगी में सावन के रंग बिखेरता है
इसे तो दूर रहने दो रस्मो रिवाज से
नही तो, प्यार कही खो जाता है
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