वो आशियाँ जो तेरे जाने से उजड़ा था
उसके हर टुकड़े में भी तू बसती है
उसे फिर हम सजाए क्यूँ
उस वीराने को बसाए क्यूँ
दस्तक देने कई आए
इस दिल के बंद दरवाजे पर
क्या पाएंगे आकर अब यहाँ
खोल कर किवाड़ उन्हें तरसाए क्यूँ
रौशन तेरी यादों से दरों दीवार
हर कोना गूंजे तेरी हसीं से
ख़ूबसूरत है जो बिखरकर भी
उस दिल को जोड़कर तडपायें क्यूँ
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