Saturday, 20 August 2022

बंद दिल के दरवाजे

वो आशियाँ जो तेरे जाने से उजड़ा था

उसके हर टुकड़े में भी तू बसती है

उसे फिर हम सजाए क्यूँ

उस वीराने को बसाए क्यूँ

 

दस्तक देने कई आए 

इस दिल के बंद दरवाजे पर

क्या पाएंगे आकर अब यहाँ

खोल कर किवाड़ उन्हें तरसाए क्यूँ 

 

रौशन तेरी यादों से दरों दीवार

हर कोना गूंजे तेरी हसीं से

ख़ूबसूरत है जो बिखरकर भी

उस दिल को जोड़कर तडपायें क्यूँ

 

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