Saturday, 20 August 2022

तू बाकी रह जाती हैं

हाथ छूट जाता है

साथ छूट जाता है

मगर कितनी यादें हैं 

जो बाकी रह जाती है

 

छोड़ दिया वो आंगन

वो गली वो शहर भी

तब भी ना जाने क्यूं

एक खुशबू रह जाती हैं।

 

जला दिए वो खत

तस्वीरों को भी बहा दिया

आंखों में फिर भी

एक छवि रह जाती है

 

महफिलों के शोर में गए 

सुनसान जंगलों में गए

कानो में हमारी मगर

एक हसीं रह जाती हैं 

 

कोई गम नहीं है

ना कोई कमी है

दिल में बस अक्सर

एक टीस सी रह जाती हैं

  

तुझसे दूर जाकर भी

मुझमें तू बाकी रह जाती है  

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