हाथ छूट जाता है
साथ छूट जाता है
मगर कितनी यादें हैं
जो बाकी रह जाती है
छोड़ दिया वो आंगन
वो गली वो शहर भी
तब भी ना जाने क्यूं
एक खुशबू रह जाती हैं।
जला दिए वो खत
तस्वीरों को भी बहा दिया
आंखों में फिर भी
एक छवि रह जाती है
महफिलों के शोर में गए
सुनसान जंगलों में गए
कानो में हमारी मगर
एक हसीं रह जाती हैं
कोई गम नहीं है
ना कोई कमी है
दिल में बस अक्सर
एक टीस सी रह जाती हैं
तुझसे दूर जाकर भी
मुझमें तू बाकी रह जाती है
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