Saturday, 20 August 2022

मदहोश

आकर चुपके से

भर लो आगोश में

साँसों की गर्मी से

कर दो मदहोश हमें


रोज रोज बस इन्ही ख़यालों में

इक ख्वाब सा बूनतें है हम

दुनिया की आवाज़ आजकल

ज़रा कम सुनते है हम


पलकें भारी है 

शर्म के लिबास से

कदमों की आहट दे रही है

दस्तक यही कही आस पास से



यूँ हाल बेहाल है अभी से

क्या होगा जब सामना होगा

कुछ जतन करो

इस दिल को अभी थामना होगा


बेक़ाबू

 बेक़ाबू 


ये कैसा एहसास है जो दिल को छू रहा है

अजीब सा आलम है, सब बेक़ाबू क्यूँ है


कब वो नज़र भेद गयी सारे पहरे

कब ये अंजान सा शख्स दिल मे घर कर बैठा

एक अरसे से संभाला था जो नक़ाब

अब वो चेहरा बेनक़ाब क्यूँ है


अजीब सी जद्दोजेहत है 

अजीब सा पागलपन

दिल बस खींचा चला जा रहा है

एक नशा सा क्यूँ  है


आँख बंद कर लो कस के

ये सब बयाँ कर देगी

जो बरसो से राज़ रखे है

आख़िर इतनी बेसबर  क्यूँ  है 



दिल में एक चुभन सी है

धड़कन तेज तेज है

अपने ही बेहाल पर 

ए दिल आखिर इतना खुश क्यूँ है 


ये कैसा एहसास है जो दिल को छू रहा है

अजीब सा आलम है, सब बेकाबू क्यूँ है

कहर

दिल चुराने की अदा है

दिल तोड़ने का हुनर भी

ए दिलबर थोड़ा रहम कर

तेरी नज़र मे प्यार भी है, कहर भी


यूँ ना देख मुझे 

की दिल ही हार जाऊँ

यूँ ना फेर नज़र मुझसे

की बेखयाली से मर जाऊँ 


आलम  यूँ होता है तेरे आते ही 

कर देती है हया बेहाल

और ज़रा दिल को संभालते है हम

छूड़ा लेते हो तुम अपना हाथ


अब बस भी करो ये सितम

थोड़ा प्यार का इज़हार करो तुम भी

मेरी जाँ ही ना चली जाए अब

तेरे प्यार मे यूँ असर भी है, कसर भी


दुर पास


जब कभी दुर होते हो

तो क्यूँ इतने पास होते हो


बैठने दो चैन से कभी

ख़यालों में उलझे बिना

हम एक साँस लेना चाहते है

तुझे याद किए बिना


जब से उतर आए हो इस दिल में

अकेले में भी सुकून कहाँ

घर में भटकते है

कोई कोना नही है, तू ना हो जहाँ


ये क्या हो गया मेरी नज़रों को

बस तू ही तू दिखता है हर चेहरे में

कस के आँख बंद कर लो

तो फिर नज़र आते हो अंधेरे में


तुम्हारी खामोशी के शोर में

दुनिया की आवाज़ सुनाई देती नही 

इस दुनिया से दूर कही है हम

जिंदा हूँ शायद धड़कन जो चलती रही


ख़त्म कर दो ये दूरी

के साँस लेना चाहते है

ले आओ वापस इस दुनिया में

की हम जीना चाहते है


तरक्की

 ख्वाइशों के दरमियान से गुजरते हुए

रूबरू हम अपनी तकदीर से हुए

मुड़कर देखा तो टूटा भरम

कुछ इस तरह ख्वाब दूर इस दिल से हुए।

 

 बहुत मुश्किलों से गुजरकर भी

महफूज रखा था अपनी मासूमियत को

आखिर कब तक चलेगा ये बचपना भी

हारकर हम भी समझदारों में यूं शामिल हुए।

 

दुनियादारी की रस्में अब समझने लगे है

गिरकर खुद ही संभलने लगे हैं

कीमत इन आसुओं की जो चुका सके

मुस्कराकर उन महफिलों में जाने के काबिल हुए।

बंद दिल के दरवाजे

वो आशियाँ जो तेरे जाने से उजड़ा था

उसके हर टुकड़े में भी तू बसती है

उसे फिर हम सजाए क्यूँ

उस वीराने को बसाए क्यूँ

 

दस्तक देने कई आए 

इस दिल के बंद दरवाजे पर

क्या पाएंगे आकर अब यहाँ

खोल कर किवाड़ उन्हें तरसाए क्यूँ 

 

रौशन तेरी यादों से दरों दीवार

हर कोना गूंजे तेरी हसीं से

ख़ूबसूरत है जो बिखरकर भी

उस दिल को जोड़कर तडपायें क्यूँ

 

तू बाकी रह जाती हैं

हाथ छूट जाता है

साथ छूट जाता है

मगर कितनी यादें हैं 

जो बाकी रह जाती है

 

छोड़ दिया वो आंगन

वो गली वो शहर भी

तब भी ना जाने क्यूं

एक खुशबू रह जाती हैं।

 

जला दिए वो खत

तस्वीरों को भी बहा दिया

आंखों में फिर भी

एक छवि रह जाती है

 

महफिलों के शोर में गए 

सुनसान जंगलों में गए

कानो में हमारी मगर

एक हसीं रह जाती हैं 

 

कोई गम नहीं है

ना कोई कमी है

दिल में बस अक्सर

एक टीस सी रह जाती हैं

  

तुझसे दूर जाकर भी

मुझमें तू बाकी रह जाती है  

मेरी जिंदगी में तुम आना जरूर

 ना बस मुझे देखने

ना जमाने को दिखाने के लिए

मेरी जिंदगी  में तुम आना जरूर

मगर जब मोहब्बत हो तब आना

 

ना करने मुझपर कोई रहम

ना एहसान करने के लिए

मेरी जिंदगी में तुम आना जरूर

मगर जब एहसास सच्चा हो तब आना

 

ना मुझे बदलने के लिए

ना मुझे परखने के लिए

मेरी जिंदगी में तुम आना जरूर

मगर जब ऐतबार हो तब आना

 

ना बस दिल्लगी के लिए

ना जब उलझन (असमंजस) में हो

मेरी जिंदगी में तुम आना जरूर

बस इरादा रुकने का हो तब आना

 

अपने मतलब से आना

हक़ से मुझसे अपनी बात मनवाना

मेरी जिंदगी में तुम आना जरूर

जब मैं जरूरी हूं तुम्हारे लिए तब आना