आकर चुपके से
भर लो आगोश में
साँसों की गर्मी से
कर दो मदहोश हमें
रोज रोज बस इन्ही ख़यालों में
इक ख्वाब सा बूनतें है हम
दुनिया की आवाज़ आजकल
ज़रा कम सुनते है हम
पलकें भारी है
शर्म के लिबास से
कदमों की आहट दे रही है
दस्तक यही कही आस पास से
यूँ हाल बेहाल है अभी से
क्या होगा जब सामना होगा
कुछ जतन करो
इस दिल को अभी थामना होगा