Saturday, 20 August 2022

दुर पास


जब कभी दुर होते हो

तो क्यूँ इतने पास होते हो


बैठने दो चैन से कभी

ख़यालों में उलझे बिना

हम एक साँस लेना चाहते है

तुझे याद किए बिना


जब से उतर आए हो इस दिल में

अकेले में भी सुकून कहाँ

घर में भटकते है

कोई कोना नही है, तू ना हो जहाँ


ये क्या हो गया मेरी नज़रों को

बस तू ही तू दिखता है हर चेहरे में

कस के आँख बंद कर लो

तो फिर नज़र आते हो अंधेरे में


तुम्हारी खामोशी के शोर में

दुनिया की आवाज़ सुनाई देती नही 

इस दुनिया से दूर कही है हम

जिंदा हूँ शायद धड़कन जो चलती रही


ख़त्म कर दो ये दूरी

के साँस लेना चाहते है

ले आओ वापस इस दुनिया में

की हम जीना चाहते है


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